
यूँ झलके मेरे आँसूं, जैसे तुम आ गये..!
आये भी नहीं और हमको रुला गये..!!
दस्तक हुयी, और दिल मे तरनुम फूटने लगे,
जब दरवाजा हिला तो लगा, जैसे तुम आ गये..!!
हवायों ने भी हमसे किया खूब मजाक,
यूँ हवा का झौंका आया, जैसे तुम आ गये..!!
रात को हमने गिन लिए थे बहुत से तारे,
यूँ निकला अब के चाँद, जैसे तुम आ गये..!!
वो तबस्सुम, वो प्यार, वो इकरार की बातें,
करने लगे आईने से तो, जैसे तुम आ गये..!!
रख दो कुछ और नाम बदल के मेरा "कसक",
यूँ लिया अपना नाम, जैसे तुम आ गये..!!
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
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