बहुत दिनों से मेरा दिल मुझसे एक सवाल,
पूछ रहा था,,,
के ये प्यार क्या होता है..???
और मेरे पास उस सवाल का कोई,,,
जवाव भी न था...
पर शायद अब,
ये एहसास हो चला है...
के प्यार क्या होता है...???
जिसे चाहो, उसके ऊपर,
सारी जिंदगानी लुटा दो...
उसकी एक हसी पे,
अपनी सारी निशानी लुटा दो...
प्यार तो सब कुछ देके,
किसी के गालों पे,
उभरते गड्ढों का नाम है....
प्यार तो नाम है,,,
उस शुबहा का,
जो उसके चहरे से,,
खिलती है....
और उस चांदनी का,,,
जो उसकी आँखों,,,
से झलकती है....
प्यार तो शायद,,,
उस इल्तजा का नाम है,,,
जो रहती है,,
हर रोज़ मेरे ख्यालों मै...
और नाम है,,,
उस ख्वाहिश का नाम है,,,
जो रहती है,,,
मेरे ज़हन मै....
प्यार तो शायद,,,
उस इल्तजा का नाम है,,,
जो रोज़ दिल से निकलती है....
और शायद उस तमन्ना का,,,
जो तुम्हे पाना चाहती है...
पर पाने का नाम प्यार नहीं...
प्यार तो किसी के लिए लुट जाने का नाम है...
शायद प्यार यही होता है.....
शायद प्यार यही होता है.....
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
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