Friday, October 1, 2021

जिम्मेदार

 


यार, ये क्या चल रहा है,

इतना फासला क्यों बढ़ रहा है।

आँखों के नीचे काले से घेरे हैं,

चारों तरफ अँधेरे ही अँधेरे हैं।

उनके जिम्मेदार तुम हो, मैं नहीं।

 

ये कहकर तुमने अपना पल्ला झाड़ लिया,

और सारे गुनाहों का बिल मुझपे फाड़ दिया।

इस वायरस ने तो हवाओं में जहर घोला है,

पर तुमने? तुमने तो हमारी नशों में घोल दिया।

हमारे ही तराजू पे तुमने हमको ही तौल दिया।

और क्या दिया? हमको हमारी ही सांसों का मोल दिया।

और सीना तानकर हमसे कहते हो,

इसके जिम्मेदार तुम हो, मैं नहीं।

 

हाँ सही कहा तुमने क्योकि तुम हमारी सरकार हो,

अब सरकार तुम्हें क्या बताएं, तुम सड़ चुकी हो, बिलकुल बेकार हो।

कोई तुम्हारी सुनता नहीं, और तुम भी कहाँ किसी की सुनती हो,

बस अपना अलाप रागती हो, और ख्याबो का ताना बाना बुनती हो।

बस दिलासा भर देती हो की सब अच्छा होगा,

और अगर नहीं हुआ तो,

इसके जिम्मेदार तुम हो, मैं नहीं।

 

तसवीर बदलने का सपना दिखाया था, तुमने तो तकदीर बदल दी,

अरे तुम तो वो मासूका निकली, जो वोटों की खातिर रकीब के साथ चल दी।

अब भी दम भरती हो तुम अपनी कुर्सी और सरकार होने का,

क्या तुम्हें जरा भी इल्म नहीं अपनों को खोने का।

 

शायद तुमने अपनों को बनाया ही नहीं,

कोई रिश्ता या कोई बंधन निभाया ही नहीं।

बस लोगों पे इल्ज़ाम धरते हो कि

इसके जिम्मेदार तुम हो, मैं नहीं।

 

चाहे राज्य हो या साम्राज्य हो, तुम सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हो,

बस अवाम मर रही है, तुम तो कुर्सी पे जमे हो और हट्टे-कट्टे हो।

10 हज़ार, 10 लाख या 10 करोड़ ही क्यों ना हो, तुमको क्या फर्क पड़ता है,

तुम तो मद-मस्त हो सत्ता की मदिरा में, तुम्हें क्या पता कौन जीता है, कौन मरता है।

 

अच्छे दिन आयेंगे और अच्छे गुजरे पिछले साल, बस इसी का भौंपू बजाते हो,

और अगर इसके शोर से कोई परेशान है, तो कहते हो

इसके जिम्मेदार तुम हो, मैं नहीं।

 

तो सुनो, इसके जिम्मेदार तुम हो, हम नहीं।

 

 

अमित बीके खरे 'कसक'

Insta ID: @amitbkkhare and @kasakastory





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