आज बे-मौसम बदली
बरस रही है,
और मेरी धर्मपत्नी पकोड़ों को तरस रही
है।
अजी सुनते हो, रोमांटिक होके आवाज लगाती है,
बड़े प्यार से अपनी इक्षा
जताती है।
सुनो न मौषम बड़ा
सुहाना है,
लगता है अभी भी
90 का जमाना है।
इस सुस्ती को भगाने का
कुछ उपाय हो जाये,
क्या कहते हो, एक कप चाय
हो जाये।
चाय तो मैं बना
दूंगी, पर पकोड़े तुम्ही
बनाना,
हाँ आलू थोड़ा कम और दो
- चार मिर्ची ज्यादा ही मिलाना।
पकोड़े अपनी तरह सादा मत बनाना,
चटनी के साथ थोड़ा
अपना प्यार भी मिलाना।
कोई बात नहीं अगर सुबह से शाम हो
जाये,
क्या कहते हो, एक कप चाय
हो जाये।
अब मुझे याद आने लगे थे वो दिन,
जो गुजरते न थे तेरे
बिन।
वो पहली मुलाकात जब प्यार के
गुल खिले थे,
हम CCD को छोड़कर चाय
की टपरी पे मिले थे।
तुमने कहा था काश ये
शाम यादगार हो जाये,
तो ठीक है चलो फिर,
एक कप चाय हो
जाये।
मुझे अब भी याद
है वो दिसंबर का
महीना था,
जब मैंने एक शर्ट और
उसके ऊपर कई सारा स्वेटर
पहना था।
उस दिन सर्दी से क्या गजब
ढाया था,
पर फिर भी तुमसे मिलने
मैं तुम्हारे घर आया था।
तेज बारिश और आने की
जिद, तो आया, चाहे
बुखार हो जाये।
क्या कहते हो, एक कप चाय
हो जाये।
बदन कप रहा था
और दांतो से संगीत बज
रहा था,
मैं ड्राइंग रूम में बैठा था, और अंदर मेरा
ताजमहल सज रहा था।
तुमने इंतज़ार भी उस दिल
बहुत ज्यादा कराया था,
पूरे 15 मिनट और 12 सेकंड के बाद तुम्हारा
दर्शन हो पाया था।
बस सोच रहा था की तेरा
दिल भी बेकरार हो
जाये,
तभी आवाज आयी, क्या कहते हो, एक कप चाय
हो जाये।
पहली मुलाकात में जीवन की सारी ख़ुशियाँ
समाई थीं,
जब तुम सुर्ख़ लाल लिवाज में चाय लेकर आई थी।
आँखों ने आँखों से
कुछ बात की थी,
दिल ने दिल से
मुलाकात की थी।
दिल कह रहा था
की तुझे लेकर कहीं फरार हो जाये।
जब तुमने कहा था, सुनिए जी एक कप
चाय हो जाये।
तो दोस्तों अगर कविता अच्छी लगी है तो,
लाइक, शेयर, कमैंट्स और चैनल सब्सक्राइब
हो जाये।
और फिर साथ बैठकर एक कप चाय
हो जाये।
अमित बृज किशोर खरे "कसक"
Insta ID: @amitbkkhare and @kasakastory
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