Friday, October 1, 2021

मेरी कहानी (पार्ट - 11) - शर्मा जी की सरप्राइज पार्टी

 


25 जुलाई 2021,अपनी बालकनी में बैठे न्यूज़ पेपर के साथ सुबह की चाय की चुस्कियां लेते हुए शर्मा जी कहते हैं

बिमला ! अरे यार तुमने चाय में चीनी कुछ ज्यादा ही दाल दी है, कहीं चखी तो नहीं थी।

आप भी न जितने बूढ़े होते जा रहे हो उतने ही सठिया रहे हो। हमें पता है आपको शुगर है इसलिए चीनी नहीं शुगर फ्री डाली है।

पता है पता मैं तो बस कह रहा था की तुम्हारी चुस्खी में अभी भी उतनी ही मिठास है, जितनी कॉलेज टाइम में थी।

बुढ़ापा आगया है पर जवानी अब तक नहीं गयी, अरे 75 पार हो चुके हो अब भगबान का भजन करो।

हमारी तो पूजा, आरती, वंदना, अर्चना और प्रार्थना तुम्ही हो, जीना यहाँ, मरना यहाँ तेरे सिवा जाना कहाँ।

तुमसे तो बहस करना बेकार है, अब तो पूरे ही सठिया गए हो। हे भगवान, अगर हमारे समय में लड़का देखने का चलन होता तो कुवांरी मर जाती पर इस आदमी से तो कभी शादी नहीं करती।

अच्छा वो मैनेजर बबलू आया था, पूछ रहा था कि शहर जा रहा है अगर कुछ मगाना हो तो बता दो। मैंने अपना सामान लिख दिया है टेबल पे पर्ची रखी है तुम भी लिख दो शाम तक आजायेगा। इतना कहते हुए बिमला जी बाहर गार्डन में घूमने चली गयी।

शर्मा जी हाथ में पर्ची उठाये सोच रहे थे की क्या मांगऊ, अपनी सोसाइटी में सब तो मिल जाता है।

तभी उन्हें याद आया की आज तो बिमला जी की जनम तिथि है सावन का महीना और कृष्ण पक्ष की दोज। तो क्यों न बिमला जी के लिए ही कुछ मंगा लिया जाये। फिर क्या था बबलू को बुलवाया गया और अलग से एक पर्ची थमा दी गई इस हिदायत के साथ कि वो सामान सिर्फ शर्मा जी को ही दिया जाये और वो भी अकेले में।

सुबह से दोपहर हो चली थी पर शर्मा जी अभी तक न्यूज़ पेपर से चिपके थे। सोसाइटी में आने वाले सभी न्यूज़ पेपरों पर शर्मा जी की निगाह सबसे पहले पड़ती थी। और सभी न्यूज़ पेपर में सिर्फ वही पेज पड़ते थे जिसमें अंतर्राष्ट्रीय समाचार हों। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की ख़बरें कुछ ज्यादा ही चाओ से पड़ते थे। चुकी आज अंतरराष्ट्रीय माता-पिता दिवस यानि International Parents Day था तो अधिकतर उसी पे आधारित विज्ञापन और शुभ सन्देश कुछ ज्यादा ही छपे थे।

 

पता नहीं मुआ क्या चासनी लगी है इन अखवारों में, जो इन्ही से चिपके रहते हो। बिमला जी ने मुँह बनाते हुए बोला।

तुम्हारे ही अक्स की तलाश में हूँ, पर मुआ मिलता ही नहीं। शर्मा जी ने भी बिमला जी की नक़ल उतारते हुए कहा।

 

15 साल से तो ढूंढ रहे हो, अब तक कुछ मिला, जो अब मिलेगा। बिमला जी ने भी तपाक से जबाब दिया।

चलो अब इन अखवारों की पोटली बनाओ और दफा करो यहाँ से, और भी बूढ़े और सठियाये हुए लोग है हमारी सोसाइटी में उनको भी कुछ न कुछ ढूढ़ना होता है।

 

अच्छा बाबा ठीक है, अब तुम्हारी आज्ञा का पालन तो करना ही पड़ेगा, हमारी सरकार जो ठहरीं।

 

ज्यादा बातें मत बनाओ, नहा धो लो, लंच का टाइम भी हो गया है।

 

शाम को शर्मा जी ने जो मंगाया था, मैनेजर उनको चुपके से आकर दे गया। शर्मा जी ने मैनेजर से कहकर सोसाइटी के बड़े से हॉल में एक छोटी सी सरप्राइज पार्टी ऑर्गनाइज करने का प्लान कर लिया।

 

बिमला जी की सभी महिला मित्रों को चुपसे बुलावा भी भेज दिया गया और मैनेजर से कहकर रात के खाने में बिमला जी की पसंद की परबल और छोले, की सब्जियां, खीरे का रायता और रोटियों, मिठाई में गुलाब जामुन की व्यवस्था करा दी गई। अरे हाँ, शुगर फ्री काजू-कतली भी जो बिमला जी और शर्मा जी दोनों को बहुत पसंद थी। और शर्मा जी ने मैनेजर से अलग से मंगवाई थी। शर्मा फॅमिली का कोई भी सेलिब्रेशन काजू कतली के बिना अधूरा होता था। ये परंपरा शर्मा जी के परिवार में पिछले 50 साल से चल रही थी।

 

शाम को तय समय के अनुसार सभी हॉल में इक्क्ठा हो गए और सरप्राइज पार्टी की शुरुआत शर्मा जी के स्वागत भाषण से हुई। हालाकिं बिलमा जी को अभी तक कुछ पता नहीं था कि आखिर चल क्या रहा है। वो तो यही सोच रहीं थी की मैनेजर ने सोसाइटी के दिशा-निर्देश दोहराने के लिए ये मीटिंग रखी है।

 

बहुत सारी यहाँ वहां की बातें करने के बाद शर्मा जी ने सरप्राइज पार्टी में से सरप्राइज को अलग किया और पार्टी को अलग।

 

मुझे आप सब तो ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है कि आज बिमला जी ने अपनी जिंदगी के 72 साल बड़े हस्ते हँसाते पूरे कर लिए हैं और तकरीबन 50 साल मुझे झेलते हुए। हमने हमारी जिंदगी में बहुत से उतार चढाव देखें हैं। मैं, जब भी गिरा बिमला जी ने मुझे संभाला। मैं एक बेफिक्रा इंसान जिसको जिम्मेदारियां का अहसास बिमला जी ने कराया। परिवार को बांधना क्या होता है? रिश्तों को कैसे संभाला जाता है ये मुझे बिमला जी ने ही सिखाया। और अगर कोई रिश्ता हम पे बोझ बन जाये और अगर हम किसी रिश्ते पे बोझ बन जाएँ तो उस रिश्ते से बाहर निकलना भी मैं बिमला जी से ही सीखा हूँ।

 

अपने गांव से शहर, शहर के किराये के मकान के अपने एक बड़े के घर और अपने बड़े से घर से इस "आशियाना ओल्ड येज सोसाइटी" के दस (10) बाई दस (10) के रूम तक का सफर मैं अकेले कभी तय नहीं कर सकता था। जब हमारे बच्चे हमें छोड़कर दूर परदेस में बस गए और हमें यहाँ छोड़ गए, तब भी बिमला जी के सकारात्मक नजरिये और हर परिस्थिति में लड़ने के हुनर ने हमें अब तक संभाले रखा है। मैं तो अभी भी अख़बारों के जरिये अपने बच्चों के शहर का हाल-चाल जानने की होड़ में रहता हूँ पर अब तक हमारे बच्चों ने कभी हमारा हाल-चाल नहीं जाना। अब तो 15 साल हो गए है इस सोसाइटी मैं और आप सब हमारा परिवार हो। बिमला जी ने मुझे समझाया कि 'एक बड़े से घर में छोटे से परिवार' से अच्छा ये 'एक छोटे घर में बड़ा सा परिवार' है।

 

बिमला जी आपको बर्ष-गांठ की हार्दिक शुभकामनयें।

 

शर्मा जी ने तब हंसते हुए बिमला जी की तरफ एक शुगर फ्री काजू कतली बढ़ा के कहा। याद है शादी की सुहागरात जब काजू कतली खाके ही हमने अपनी ज़िंदगी की शुरुआत की थी, आज इस आखिरी पड़ाव में भी काजू - कतली की मिठास भरें। चलो आज 72 की उम्र में तुम 22 की हो जायो और मैं 75 की उम्र में 25 का। 

 

अमित बृज किशोर खरे 'कसक'

Insta ID: @amitbkkhare and @kasakastory




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