प्यार मैं थोड़ी बहुत लड़ाइयाँ तो होती हैं..!
जैसे धूप के किनारे परछाइयाँ तो होती हैं..!!
क्या डरना है खुद से या किसी और से,
मुहब्बत मै थोड़ी रुश्बाइयाँ तो होती हैं..!!
यूँ ही नहीं बनता सपनो का महल,
प्यार मै थोड़ी सी प्यारी बेमानियाँ तो होती हैं..!!
कभी शरारत भरा गुस्सा, तो कभी मीठा सा प्यार,
हस्ते-हस्ते दिल की करिश्तानियाँ तो होतीं हैं..!!
हम तो साँस भी लेते हैं, तो उनकी खातिर,
इस तरहा हमारे दिल पे मेहरवानियाँ तो होती हैं..!!
वो प्यार ही क्या "कसक" जिसमे पागलपन न हो,
उनके होने पे जशन, और अकेले मै विरानियाँ तो होती हैं..!!
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
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