Thursday, March 25, 2021

मैं नारी हूँ।

 


मैं नारी हूँ।

कुछ सपनों की, कुछ अपनों की।

कुछ वादों की, नए इरादों की।

ऊँची उड़ान की, अपनी पहचान की,

अधिकारी हूँ, मैं नारी हूँ।

मैं नारी हूँ।

 

 

एक चरित्र हूँ, बड़ी पवित्र हूँ,

तप्ति सी आंच हूँ, झूंठ में साँच हूँ,

एक अस्तित्व हूँ, एक व्यक्तित्व हूँ

कभी मर्दानी हूँ, तो कभी बेचारी हूँ

मैं नारी हूँ

 

मैं कभी दरी नहीं, झूंठ के लिए लड़ी नहीं

धक्का लगा कई बार, पर मैं गिरी नहीं

मैं हौशलों पे डटी हूँ, कभी सरल तो कभी हठी हूँ

कभी खुला आकाश, तो कभी चार दीवारी हूँ

मैं नारी हूँ

 

मैं करती हूँ, मैं ही भर्ती हूँ

मैं गुमनाम भी हूँ, मैं नाम भी हूँ

मैं करता भी हूँ, मैं काम भी हूँ

मैं एक सरीर भी हूँ, और कायनात भी सारी हूँ

मैं नारी हूँ

 

मैं सब कुछ हूँ, और कुछ भी नहीं

मुझे पता सब है, पर कुछ याद नहीं

घाव जल्दी सी लेती हूँ, बहते आँसू पी लेती हूँ

ना चाहते हुए भी चुप रहती हूँ, दर्द सरे अंदर ही सहती हूँ।

अभिनय की पराकाष्ठा हूँ, अच्छी अदाकारी हूँ

मैं नारी हूँ

 

मैं नारी हूँ

 

Arti Diya Khare



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