This Poem is dedicated to my wife Arti.
I love you so much, sweetheart.
तुमसे बातें करनी हैं, हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
जो बस जाएँ ज़हन में, उतर जाये नसों में,
और पिघल जाये हालातों में, ऐसी मुलाकातें करनी हैं
हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
तुम्हारी मुस्कुराहट से मेरी सुबहा होती है,
तुम्हारी पलकों पे मेरी शाम सोती है।
न मेरीं, ना सिर्फ तेरीं, हमारीं हों, ऐसी हसीं रातें करनीं हैं,
हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
तुम कहो तो मैं सुना करूँ, और मैं कहूं तो तुम समझा करो,
मैं नारी का सम्मान करूँ, तुम पुरुष की बिडम्बना समझा करो।
तुझको मुझसे, मुझको तुझसे, बहुत शिकायतें करनी हैं।
हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
हमारे रिश्ते ने मौसम के सारे पड़ाव देखें हैं,
थोड़े नरम, थोड़े गरम लम्हे, आँचल में समेटे हैं।
जो डुबों दे हमें हमेसा के लिए, ऐसी बरसातें करनी हैं
हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
लड़ना भी है तुमसे, तुम्हीं से प्यार करना है,
सायद कभी किया नहीं, फिर से इजहार करना है।
जिनपर साथ चलूँ उम्र भर, ऐसे कई सफर की सुरुवातें करनी हैं
हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
तुम्हारे बिना मैं वैसा ही हूँ जैसे बिना पतवार की नाव,
जिसे बहाता था अपनी ही मर्जी के ज़माने का बहाव,
तुझमें मुझको रब मिला है बस अरदासें करनी हैं।
हाँ तुमसे बातें करनी हैं।
अमित बृज किशोर खरे "कसक"
No comments:
Post a Comment