Saturday, January 2, 2021

जहर देना था अब तक दिया क्यों नहीं। By Amit BK Khare "Kasak"

 


जो कहा था, अब तक किया क्यों नहीं ?


जो कहा था, अब तक किया क्यों नहीं ?

मेरा हाल अब तक लिया क्यों नहीं ?

तैयारी तो पूरी कर लि थी तुमने,

जहर देना था, अब तक दिया क्यों नहीं ? 


वो बंदूकों की नोक पे बैठा है जनाब,

भरता का पेट अब तक भरा क्यों नहीं ?


वो जो आँख दिखता है बात - बात पे,

वो हितैषी अब तक डरा क्यों नहीं ?


डरती है वो कूचें से बाहर निकलने में,

हमारे अंदर का शैतान, अब तक मरा क्यों नहीं ?


वो जिसने कसमे खायीं थीं, साथ देने कि,

वो मेरी गली से अब तक गुजरा क्यों नहीं ?


तूने कहा था भरोसा देकर, कि मैं हूँ यहाँ,

जब आग लगी, तब तूँ रुका क्यों नहीं ?


फ़क़त चंद सिक्कों में बिक गया तेरा ईमान,

जब सौदागर आये, तब तूँ लड़ा क्यों नहीं ?


साजिशें बहुत हुयीं, आवाज़ दबाने की, पर दबी नहीं,

फिर दीवाने-खास से पुछा गया, 'कसक' डरा क्यों नहीं ?


अमित बृज किशोर खरे 'कसक'



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