Saturday, December 12, 2020

चलो एक कहानी सुनाता हूँ। By Amit BK Khare "Kasak"


चलो एक कहानी सुनाता हूँ। 

तुम्हारे अल्फ़ाज़ अपनी ज़ुबानी सुनाता हूँ।।

दास्तानों की किताब ले रखी है मैंने,

होंठों की हंसी, आँखों का पानी सुनाता हूँ।।


चलो एक कहानी सुनाता हूँ। 


जब तेरा हाँथ मैंने इन हांथों में लिया था,

आँखों ने आँखों से एक वादा कर लिया था। 

सांसे एक हो गईं थीं, जुवां लड़खड़ाई थी,

कुछ इस तरहा तूँ मुझमे समाई थी।

दूरियां मिट गईं थीं, बिस्तर सिमट गए थे,

जब मदहोश होकर तुम हमसे लिपट गये थे। 


उस मिलन की एक निशानी सुनाता हूँ,

एक रिश्ता रूहानी सुनाता हूँ। 

एक दीवाना एक दीवानी सुनाता हूँ। 

चलो एक कहानी सुनाता हूँ। 


चलो एक कहानी सुनाता हूँ।।


हौले हौले मौसम बदल रहे थे,

हम अनकहे जज्बातों में बह रहे थे।

सुबह मदहोश और शाम रंगीन थी,

आसमा नीला और फूलों की जमीन थी। 

तुम ठहरे थे, हम चल रहे थे,

फर्क सिर्फ इतना था, हम डूब रहे थे तुम उबर रहे थे। 


अब उस रिश्ते की बेमानी सुनाता हूँ। 

लफ्जों में ठहरी हैरानी सुनाता हूँ। 

मुहब्बत की होती नीलामी सुनाता हूँ 

चलो एक कहानी सुनाता हूँ। 


चलो एक कहानी सुनाता हूँ।।


 तुम किसी और की बाँहों में खो चुकी थी,

तुम हमनवां किसी और की हो चुकी थी। 

भुला दिए थे सारे वादे, तोड़ दी थीं कसमें,

ना निभाये रिश्ते, ना निभाईं रसमें। 

उस दिन तूने मेरे जमीर को कुछ इस तरहा खरोंचा था,

कि मेरे ही खंजर से मुझे, ना जाने कितनी बार नोचा था। 


उस बहते हुए लहू की रवानी सुनाता हूँ। 

तेरी हसरतों की सुनामी सुनाता हूँ। 

तूने की जो मेहवानी सुनाता हूँ। 

चलो एक कहानी सुनाता हूँ। 


चलो एक कहानी सुनाता हूँ।।


आहिस्ता आहिस्ता ये दरिया ठहर रहा था,

और तुम्हारे दिए ज़ख़्मों से मैं मर रहा था। 

तभी किसी ने हाथ पकड़ा और डूबने बचा लिया,

जीने का वास्ता देकर, अंधेरो को हटा दिया।  

खूबियों को जाना, कमियों को नजरअंदाज किया,

उसने टूट कर चाहा मुझे, हर वक़्त मेरा साथ दिया। 


नई दास्ताँ सुहानी सुनाता हूँ। 

नया रिश्ता नूरानी सुनाता हूँ। 

उस रिश्ते की अगवानी सुनाता हूँ। 

चलो एक कहानी सुनाता हूँ।। 


होंठों की हंसी, आँखों का पानी सुनाता हूँ।।

चलो एक कहानी सुनाता हूँ।।



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