कल बीता सो बीता !
आज सुबह का दिनकर देखो,
फूल मनोहर मधुकर देखो,
आज लिखो तुम नयी कविता !!
कल बीता सो बीता !!
आज प्यार में तन्हाई है,
दिलों में एक लंबी खायी हैं !
प्यार बना अब एक लतीफा !!
कल बीता सो बीता !!
आज नया आगाज़ करें हम,
आयो आज कुछ खास करें हम !
आज लिखें हम एक नयी गीता !!
कल बीता सो बीता !
गए बीत कई साल दसक
कभी एक न हम हुए 'कसक' !
अब हो जायो युग बीता !!
कल बीता सो बीता !
कल बीता सो बीता !
कल बीता सो बीता !
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
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