Monday, March 2, 2020

मै यूपी का छोरा, वो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।


वो दिल के पास थीपर नज़रों से बहुत दूर थी 
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

ख्यालात अलगजज्वात अलगवो दूरी की मुलाकात अलग,
बिन देखीबिन समझीहम दोनों में मुहब्बत भरपूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

वो फर्राटे की अंग्रेजी थी, मेरी भाषा बुन्देली थी,
मैं बेढंगी सा रांझा थावो स्वर्ग से उतरी हूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

वो सुबहा की गर्म चाय थीलालिमा चहरे पे लगाए थी,
वो कातिल थीरहनुमा थीवो नूर थी और मेरा गुरूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

मैं बिखरा हुआ सा बिस्तर थावो सिमटी हुई रजाई थी,
मैं टूटा हुआ सा मनका थावो रोली और कपूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

वो दिन थीवो रात थीसावन की पहली बरसात थी,
वो दरिया थीवो नाव थीसनक थी और सुरूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

वो पूजा थीआस्था थीवो प्यार की पराकाष्ठा थी
वो कोमल थीकठोर थीवो पास थी और दूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।।

मैं अमावस का अंधेरावो पूनम का चांद थी,
मैं महादेव की सेना सावो अनिका का रूप थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।

वो राज थीवो साज थीवो सुबह का आगाज़ थी,
में बुझता हुआ सा दीपक थावो खिलता हुआ सा नूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।

वो बड़ौदा की अंगड़ाई थीजिसमें पूरी सुबह समाई थी,
मैं दिल्ली का गिरता पारा थापर उसकी कसक जरूर थी।
मै यूपी का छोरावो पंजाबी अनुभा कपूर थी।

अमित बीके खरे
"कसक"

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