मैं इंसान हूँ, मुझे इंसान ही रहने दो....!!!!
मत छेड़ो मेरे
रुके हुए तार,,
मत करो रोशन मेरी,
बुझी हुयी मज़ार...
मेरा अँधेरा ही भला है,,
तुम अपनी ये रोशनी रहने दो....!!!!
मैं इंसान हूँ, मुझे इंसान ही रहने दो....!!!!
अब तुम्हारी वफ़ा से,
एतबार उठ चूका है..
प्यार का तूफान दिल में,
रुक चूका है..
अब प्यार से डरने लगा हूँ,,,
तुम अपना ये इकरार रहने दो....!!!!
मैं इंसान हूँ, मुझे इंसान ही रहने दो....!!!!
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
मत छेड़ो मेरे
रुके हुए तार,,
मत करो रोशन मेरी,
बुझी हुयी मज़ार...
मेरा अँधेरा ही भला है,,
तुम अपनी ये रोशनी रहने दो....!!!!
मैं इंसान हूँ, मुझे इंसान ही रहने दो....!!!!
अब तुम्हारी वफ़ा से,
एतबार उठ चूका है..
प्यार का तूफान दिल में,
रुक चूका है..
अब प्यार से डरने लगा हूँ,,,
तुम अपना ये इकरार रहने दो....!!!!
मैं इंसान हूँ, मुझे इंसान ही रहने दो....!!!!
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
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