ये कैसी कहानी है,
दिल में जलन, आँखों में पानी है.. !
नाराज़ है मुझसे खुदा,
या उनकी मेहरबानी है.. !!
क्यों हँसना पड़ता है,
बेरंग मुहब्बत में..!
क्यों खाली रहता है,
ये हाथ इबादत में..!!
क्यों चलता रहता हूँ.. !
बे-वक़्त रवानी में..!!
ये कैसी कहानी है...........
वो हमसे कहते है,
रुक जाओ, ठहर जाओ.. !
हम उनसे कहते हैं,
तुम और करीब आओ.. !!
बदला हुआ आलम है,
बदली सी निशानी है.. !
हम उनपे मरते हैं,
क्यों उनको हैरानी है.. !!
ये कैसी कहानी है............
सोचा था उन्हें हँस के,
बाँहों में उठा लूंगा.. !
सब खुशियां उन्हें देके,
हर दर्द चुरा लूंगा.. !!
ये दर्द ही अपना है,
और प्यार पराया है.. !
मिलना था, हमको मिला,
एक दर्द का साया है.. !!
ये कैसी कहानी है,
दिल में जलन, आँखों में पानी है.. !
नाराज़ है मुझसे खुदा,
या उनकी मेहरबानी है.. !!
अमित बृज किशोर खरे
"कसक"
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