अपनों को पराया बनाने लगे हैं लोग !
रिश्ते सभी ज़हन के भुलाने लगे हैं लोग !!
अपनों को पराया बनाने लगे हैं लोग !...........
करते थे जो मुझसे दीवानों कि तरहा प्यार !
गम को भी मेरा घर बताने लगे हैं लोग !!
रिश्ते सभी ज़हन के भुलाने लगे हैं लोग !!.........
उम्र भर सबने लगाई ठोकर मुझे सनम !
पत्थर बना तो सर को झुकाने लगे हैं लोग !!
रिश्ते सभी ज़हन के भुलाने लगे हैं लोग !!........
कल तक तो था बस मैं आवारा फ़िज़ां 'कसक' !
कुछ बन गया तो मुझको मानाने लगे हैं लोग !!
रिश्ते सभी ज़हन के भुलाने लगे हैं लोग !!........
अपनों को पराया बनाने लगे हैं लोग !
रिश्ते सभी ज़हन के भुलाने लगे हैं लोग !!
1 comment:
nice
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